कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नहीं आती
आगे आती थी हाले दिल पे हसी, अब किसी बात पर नहीं आती
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप है, वरना क्या बात करनी नहीं आती
दाग-ए -दिल गर नज़र नहीं आता, वो भी आये चारगर नहीं आती
हम वहां है जहाँ से हमको भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती।।।
No comments:
Post a Comment